यदि आप मजाक में भी किसी दूसरे का कॉल रिकॉर्ड करते हैं और यदि इसकी शिकायत कर दी जाएं तो आपको भारी महंगा पड़ सकता है। हाल ही में एक रिपोर्ट पर जमकर हंगामा हो रहा है। जिसमें पेगासस स्पाइवेयर की मदद से भारतीय यूजर्स की जासूसी की जा रही है। जानकारी हो कि 2019 में भी भारत समेत दुनिया के 20 देशों में हो रहे पेगासस स्पाइवेयर को लेकर इजरायली स्पाइवेयर के निर्माता एनएसओ ग्रुप पर मुकदमा दायर किया था।
भारत में, किसी की कॉल बिना अनुमति के रिकॉर्ड करना एक अपराध है. संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित निजता के अधिकार की मांग है कि फोन कॉल रिकॉर्ड नहीं किए जाएं. केवल संबंधित व्यक्तियों की सहमति से ही ऐसी गतिविधि की जा सकती है. अगर आप किसी की इजाजत के बिना उसका मोबाइल कॉल रिकॉर्ड करते हैं तो आपके खिलाफ आईटी एक्ट-2000 की धारा 72 के तहत करवाई की जा सकती है.
अगर आपको लगता है कि किसी ने आपकी कॉल बिना अनुमति के रिकॉर्ड की है, तो आप पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 3 के अनुसार, अदालत के निरीक्षण के लिए प्रस्तुत इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को दस्तावेजी साक्ष्य माना जाता है. इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड इसी अधिनियम की धारा 65ए और 65बी के अनुसार स्वीकार्य हैं. इन प्रावधानों के कारण, कॉल रिकॉर्डिंग अदालत में स्वीकार्य हैं.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने फैसला सुनाया है कि रिकॉर्ड की गई फ़ोन बातचीत को स्वीकार्य साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, भले ही वे अवैध रूप से प्राप्त की गई हों.